टीआरपी (TRP) स्कैम में मनी लांड्रिंग की जांच हेतु प्रवर्तन निदेशालय ने ईसीआईआर दर्ज कर ली है।
जैसा की सर्वविदित है 8 अक्टूबर को मुंबई पुलिस कमिश्नर ने एक प्रेस वार्ता की थी और उसमें रिपब्लिक टीवी और उनके संस्थापक Editor-In-Chief अरनब गोस्वामी पर बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। प्रेस वार्ता में उन्होंने दावा किया था कि चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए रिपब्लिक टीवी ने आम लोगों को पैसे दिए थे और उन्हें अपना चैनल देखने के लिए कहा गया था।
जबकि रिपब्लिक टीवी द्वारा टीआरपी (TRP) स्कैम एफ आई आर अन्य गवाहों और हन्सा रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार खुलासा किया गया था कि दर्ज कराई गई एफ आई आर में रिपब्लिक टीवी का कहीं नाम ही नहीं है। बेहद चौंकाने वाली बात यह थी कि टीआरपी (TRP) स्कैम एफ आई आर में जिस चैनल का नाम था वह है इंडिया टुडे, पर इसे छुपाया गया और रिपब्लिक टीवी को फसाने के लिए उसका नाम बिना किसी आधार के ले लिया गया।
बाद में मुंबई पुलिस कमिश्नर को भी यह तथ्य स्वीकारना कि पड़ा था टीआरपी (TRP) स्कैम एफ आई आर में रिपब्लिक टीवी नहीं बल्कि इंडिया टुडे का नाम है ।
टीआरपी (TRP) स्कैम के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के अलावा सीबीआई पहले ही एफ आई आर दर्ज कर चुकी है और जांच जारी है ।
4 नवम्बर की सुबह महाराष्ट्र पुलिस ने प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात करते हुए रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क Editor-in-Chief अरनब गोस्वामी के साथ बदसलूकी की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
यह सर्वविदित है कि पिछले कुछ समय से अरनब गोस्वामी, सुशांत सिंह राजपूत केस पर महाराष्ट्र सरकार को प्रश्न कर रहे थे, पालघर संत हत्याकांड पर भी उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। हाल ही में मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके टीआरपी स्कैम का जो दावा किया था वह भी झूठा साबित हुआ। इस सब पर बौखलाई हुई महाराष्ट्र सरकार ने बदले की भावना से अरनब के खिलाफ कार्रवाई की, ऐसा प्रतीत हो रहा है।
पालघर के वे संत जिनके लिए अरनब ने मुखरता से आवाज उठाई, सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत पर अरनब ने लगातार प्रश्न किए और सच को उजागर करने के प्रयास किए। हाथरस रेप कांड में भी अरनब ने सत्य को सबके सामने लाने की पुरजोर कोशिश की ।
और इन सब कोशिशों के लिए कांग्रेस और उद्धव ठाकरे कि महाराष्ट्र सरकार ने अरनब के खिलाफ कई F.I.R. कराईं । कई कई घंटों के लिए अरनब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाने के बहाने परेशान किया।
इन सब से भी जब वह विचलित नहीं हुआ तो एक बंद हो चुके केस को गैरकानूनी रूप से रीओपन कर किसी आतंकवादी की तरह अरनब को गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया।
पर अंततः सत्य विजयी हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवम्बर को अरनब गोस्वामी को जमानत दी।